काली कान्त झा "बूच"क रचना संसार मे अपनेक स्वागत अछि

Tuesday, July 12, 2016

प्री- मानसून 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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राति बहल छल पुरबा वात
सिहकल हरियर गाछक पात
लागल अचके एलै मानसून
झहरय लागल टपटप बून
भोरमे पुनि वेअह पुरना हाल
गुमकी उमससँ लोक बेहाल
चटचट पछबा दारुण प्रभात
कत' गेल ओ शीत बसात
बड़बड़ाइत मौसम विज्ञान
छोड़ल वरखक दाबल तान
एकरा बुझू प्री- मानसून
सुनिते मुरुझल आश - प्रसून

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