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Saturday, April 20, 2013

ऋतुराज

ऋतुराज

सोहर गावथि कोइली बहिना,
कीर मधुर ध्वनि बजबथि साज ।
जननी वीणा वादिनी हर्षित,
अवतार लेलनि सद्यः ऋृतुराज ।
गर्वित उपवन मधुपक गुंजन,
वर्णक पुष्पक दिव्य सोहनगर ।
सरिता लवलव शांत उदधि छथि,
मऽहु रसाल में उमड़ल मज्जर ।
माघक सातम धवल इजारियाँ,
भेल नवल ऋृतु नृप छठिहाँर ।
चिनुआर भरल पायस पूआ सँ,
कुलदेवी साजल उपहाँर ।
भगजोगिनी केर पंचम सुर सुनि,
आंगन महमह मुग्ध दलान ।
दशोदिशि मलमल गेना फूलल,
सरिसब बूट भरल खरिहाँन ।
रवि संग सुषमा अछिंजल उष्मा,
पात-पात पर पछवा वसात ।
विरहिनी बैसलि कंत आश मे
वयः ताप सँ उपटल गात ।
मातु उमा मन मुदित विभूषित,
सजल नुपूर चरण चमकल ।
शिवरात्रिक अवाहन भेलै,
नाथ कुशेश्वर छथि गमकल ।
संवत जड़ल आ होली आयल,
अबीर गुलाबी हरियर लाल ।
क्षितिज धरित्री एक बनल छथि,
ढ़ोलक डुग्गी झाॅझक ताल ।
छोट पैघ केर भेद मिटायल,
वृद्ध जुआन संग मे बाल ।
छोटकी कनियाँॅ ठोर रंगलि आ-
बऽरक भरल पान सँ गाल ।ं
भैयाँ भांग सुधा मे सानल,
शिथिल पड़ल छथि माॅझ ओसार ।

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