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Tuesday, July 12, 2016

कजरी (युगल गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अदरासँ पहिनेके' बदरा 
छीटूने विहनि धान सजना
धान सजना हो धान सजना हो
छीटूने विहनि धान सजना
गुनूने आब पोथी पतरा
खेतोके घुरल प्राण सजना !
क'हु धनी कथीसँ क्यारी बनेबै
कोदारिमे ने शान धनिया
रहतै ई परती उपासल
छथि लक्ष्मी अकान धनिया !
चलु प्रिय खुरपीसँ सीता सजेबै
वरनके राखब मान सजना
मिथिलाके नारीक शक्ति
आब देखत जहान सजना !
अहँक आँजुरमे ठेल्ला पड़त जौं
प्रियतमके उड़त प्राण धनिया
छोड़ि दियौ अही बरख खेती
रुसल छथि दिनमान धनिया !
सियाके धीया हम माटिक बेटी
अछि धर्मक संज्ञान सजना
दुहू शक्ति जुड़ा लिय' घेंटी
तखने त' विहान सजना !
दृष्टि फुजल अय प्राणपियरगरि
तनि गेलै वितान धनिया
सपनाके करबै सकारथ
ई कर्मक नवतान धनिया !

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