काली कान्त झा "बूच"क रचना संसार मे अपनेक स्वागत अछि

Saturday, April 20, 2013

कपीश वंदना

".कपीश वंदना"
BY KALI KANT JHA BUCH

हमरापर तमाम दुरगंजन
अपने छी महान दुख भंजन
हे हनुमान, अथाह धारसँ
पार कऽ दि‍अ, उद्धार कऽ दि‍अ
हमरा पार.............
हम छी पति‍त पुरनका पापी
अएलहुँ शरण बनल संतापी
हे कपीश, हाथे धऽ हमरा
ठार कऽ दि‍अ, उद्धार कऽ दि‍अ
हमरा पार.........
पाबी अहँक अनमोल मंत्रणा
तखन सुकंठक कटल यंत्रणा
महावीर हमरोपर कनेक
वि‍चार कऽ लि‍अ उद्धार कऽ दि‍अ
छोड़व नहि‍ अपनेक आइ हम
दैत रहब रामक दुहाइ हम
“महामंत्र‍” केर हमरो गि‍रि‍मल-
हार दऽ दि‍अ, उद्धार कऽ दि‍अ
हमरा पार कऽ दि‍अ
उद्धार कऽ दि‍अ।

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