दीनक नेना
देखहीं रौ बौआ , ई कौआ गबै छौ।
सुनहीं रौ तोरे , कुचरि सुनबै छौ।।
एम्हर तोँॅ सूतल छेँ माँझे ओसारपर ,
ओम्हर ओ नाँॅचै पुबरिया मोहारपर ,
पुरबा बसात बँसुरी बजबै छौ............. .. ।
सुनहीं रौ ............... ।।
तोरा लय बनलौ ने बिस्कुट आ चाॅकलेट ,
नोनो रोटीसँ ने भरतौ ईगोल पेट ,
बातक मधुर स्वरलहरी अबै छौ............. .... ।
सुनहीं रौ ............... ।।
बापे तोहर बनलौ परदेशी ,
चिट्ठी ने एलौ भेलौ दिन बेशी ,
माँक निनायल व्यथा जगबै छौ।
सुनही रौ ............।।
की बुझबेॅं ककरा कहै छै गरीबी ,
सपनोमे सुख नहिं जतऽ श्रमजीवी ,
लुत्ती लगा कऽ नगर बसवै छौ......... ।
सुनहीं रौ .............।।
कोरामे तोरा सुताबै छौ बिनियाँॅ
झटकल औ अबिहेँ रौ , नूनूक निनियाँ ,
तोहर उपास हमरा लजबै छौ , सुनहीं रौ ..............।
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