काली कान्त झा "बूच"क रचना संसार मे अपनेक स्वागत अछि

Tuesday, July 12, 2016

परिचय

नाम : शिव कुमार झा
उपनाम : टिल्लू

विधा : मैथिली आ हिन्दीक साहित्यकार आ समालोचक

जन्म : अपन मातृक बिहार प्रांतक बेगूसराय जिलाक मालीपुर गाँव मे ११ दिसंबर १९७३ केँ भेल .
पिता :स्वर्गीय काली कान्त झा बूच ( मैथिली साहित्यक चर्चित गीतकार )
माता : स्वगीया चन्द्रकला झा

पैतृक गाँव : बिहार प्रान्तक समस्तीपुर जिलाक रोसड़ा अनुमंडल अवस्थित प्रसिद्द गाँव करियन ( दार्शनिक उदयनाचार्यक जन्म भूमि ) .

शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा,: स्नातकोत्तर , सूचना- प्राद्यौगिकी :

साहित्यिक परिचय :
सदस्य, "साहित्य प्रकोष्ठ" मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर
पूर्व सहायक संपादक विदेह मैथिली पत्रिका (अवैतनिक )
: सम्प्रति कार्यकारी संपादक , अप्पन मिथिला ( मुंबई से प्रकाशित मैथिली मासिक पत्रिका ) मे अवैतनिक कार्यकारी संपादक.
हिन्दीक चर्चित अंतर्जाल न्यूज़ पोर्टल " इंटरनेशनल न्यूज़ आ व्यूज कॉरपोरेशन" केर सलाहकार .
साहित्य अकादेमी भारत सरकार केर बाल साहित्य विषयक संगोष्ठी मे सहभागिता .

पुरस्कार / सम्मान :
मिथिला विभूति सम्मान ( मिथिला सांस्कृतिक परिषद् , जमशेदपुर २०१५ )

साहित्यिक उपलब्धि :
प्रकाशित कृति
१ अंशु : मैथिली समालोचना ( 2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली
२ क्षणप्रभा : मैथिली काव्य संकलन (2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली )

अप्रकाशित कृति :
१ सुधि प्रभंजन : मैथिली काव्य संग्रह
२ दृष्टि : मैथिली आलोचना और आलेख
३ आत्म उच्छ्वास : हिन्दी काव्य संकलन
एकर अतिरिक्त बहुत रास , क्षणिका , कथा , लघु-कथा, पद्य , हाइकू , टनका आदि विविध पत्र -पत्रिका मे प्रकाशित.

सम्प्रति :जमशेदपुर मे टाटा मोटर्स केर अधिशासी संस्था जे एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड मे महाप्रबंधक पद पर कार्यरत .

स्थायी पता : ग्राम + पोस्ट : करियन
प्रखंड : शिवाजी नगर
भाया : इल्मासनगर
जिला : समस्तीपुर : ८४८११७ ( बिहार )

अधिवास : कलाकुंज ,
: रोड नंबर , ०३
: आदर्श नगर , समस्तीपुर : ८४८१०१

वर्तमान पता :
शिव कुमार झा
जे. एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड
मैन रोड बिस्टुपुर
जमशेदपुर : ८३१००१

इ-मेल : shiva.kariyan@gmail.com
नचारी ( ०७.०६.२०१५ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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शिव नहि ठगना !
जग लेल क्षीर देल विख अपना 
शिव नहि ठगना !
अपने हिमासनपर नहि पलना
मृगछाला पाथरपर कत' अलना
शिव नहि ठगना !
दानेलेल सदति दृष्टि दान सपना
दयाद्रव्य कणकणमे भाव नपना
शिव नहि ठगना !
शैवक सिनेही शक्तिके' अर्चना
ओंकारक प्राणनाद ॐ वंदना
शिव नहि ठगना !
शंकर साकार नहि अलभ कल्पना
कर्मी जगसेवीके' पुरथि सपना
शिव नहि ठगना !
शिवशक्ति प्रीतिजप नित करू ना
सौभाग्यक मदन द्वारि घर भरु ना
शिव नहि ठगना !
हमर मिथिला ( गीति -काव्य )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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पछबे संग उड़ि आनक भल्गर भास एलै
कत' अपन देसिल वयनाक सुवास गेलै 
मिथिराजक सभ घरआँगनमे भोजक गीत
कुञ्ज -रंजना- पूनमक स्वर भ' रहलै तीत
कवि कोकिल भक्तिक पद अनसोहाँत भेलै
फूहड़ तानमे सिंघी पताली खेल खेलै !
बिच चुआठ मे गललै डाक वचन अनमोल
सलहेसक गाथा मिथिलासँ भेलै गोल
देकसी मारल लिपि हिमगिरि पर फहरेलै
हमर तिरहुता बागमतीमे उधिएलै !
उभय भारती चारु मठपर छथि पसरल
उदयन कुसुमांजलि ल' दक्खिन दिश ससरल
गिद्ध दृष्टि अपनेमे लड़ि क' अन्हरेलै
पैघ छोट भेदक बिच मैथिल ओझरेलै !
हे जननी जगदम्ब भवानी ! ( भगवती वंदना )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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हे जननी जगदम्ब भवानी 
मात्र अहीं अबलम्ब भवानी
हे जननी जगदम्ब भवानी !
सकल जगत के काल विनाशिनी
रौद्र रूप सभ संकट नाशिनी
हर हरि ब्रह्म तेज रुद्राणी
हे जननी जगदम्ब भवानी !
पूर्ण भक्ति लग मुग्ध स्वरूपा
मायक प्रांजल मोहक रूपा
हम अबोध आँचर तर कानी
हे जननी जगदम्ब भवानी !
लक्ष्मी बनि पालक संग विचरण
काली रूप काल तन सिहरन
गणपति रक्षक शिवक शिवानी
हे जननी जगदम्ब भवानी !
वाकदेवी स्वर शब्दक चिंतन
ब्रह्मचारिणी तृष्णाके' मर्दन
महागौरि कल्मष कल्याणी
हे जननी जगदम्ब भवानी !
बदलैत स्वरूप ( गीति काव्य )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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नव प्रेमक शीतल छाँह नवल 
एकरे तर नेह करथि छलमल 
पुरना बनतथि दीनक गुदरी
नैका संग ई जीवन कलकल
आब बदलि गेल भौतिक स्वरुप
किए हेरब बिसरल अन्हकूप
हमरा लेल छूटल की केलथि
कर्मक फल तें ई सुख अनूप
जौं पाछु देखब त' कोना भोगब
प्रतिक्षण सौभाग्य सुखक ई पल !
रहू भरल पुरल औ युगक नाथ
जौं पूत अहीं सन- जग सनाथ
किए चरण धरब -ई दारुण द्रव
देह धंसत पाँक बिच पीटब माँथ
हाहि साध्यक संगम अहँक अंश
ई शक्ति अहाँके' अहींक सम्बल !
बदलैत स्वरूपक परिभाषा
एहि ठामने सम्बन्धक आशा
सभ काम मनोरथ हुअए सिद्ध
ई आशीष ने बूझब प्रत्याशा
स्वार्थक अर्णवकेँ रहू उपछैत
अछि क्षोभ मुदा कामना निर्मल !
प्री- मानसून 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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राति बहल छल पुरबा वात
सिहकल हरियर गाछक पात
लागल अचके एलै मानसून
झहरय लागल टपटप बून
भोरमे पुनि वेअह पुरना हाल
गुमकी उमससँ लोक बेहाल
चटचट पछबा दारुण प्रभात
कत' गेल ओ शीत बसात
बड़बड़ाइत मौसम विज्ञान
छोड़ल वरखक दाबल तान
एकरा बुझू प्री- मानसून
सुनिते मुरुझल आश - प्रसून
नचारी ( ११.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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युगयुग उपछल हाहिक अर्णव आब भरू संतोख 
हे शिव ! दूर बसथु मृगतृष्णा आबहु शिव -दर्शन भरिपोख !
नश्वर जगतक शाश्वत किछु नहि तखन कोना ई त्रास
हे शिव ! पञ्चतत्वसँ बनल अधम तन सदति ग्रहण उच्छ्वास
आन्ह मनोरथ रास संयोगल बिनु कोनो धरी- धोख
हे शिव ! दूर बसथु मृगतृष्णा आबहु शिव -दर्शन भरिपोख !
जखन क' दृष्टि सहेजय दर्शन क्षणिक दिव्य संज्ञान
हे शिव ! पुनि मोहक मन पाछु धरय जौं घेरय भौतिक तान
आहिक वारिद बून भ' टपकल भीजल कामक मोख
हे शिव ! दूर बसथु मृगतृष्णा आबहु शिव -दर्शन भरिपोख !
आत्म सरित शिवशक्ति अमिय रस अष्टयाम नवदृष्टि
हे शिव ! बहुत भेल ई आन- अपन धुन आब समत्वक सृष्टि
ग्रहण करब सभ योग धुनक गुण देखब ने ककरो दोख
हे शिव ! दूर बसथु मृगतृष्णा आबहु शिव -दर्शन भरिपोख !
नचारी ( २१.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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सुनू शिव छथि एना !
मायक आँचर बापक छाहरि जेना !
संततिके ध्यान अंतरक अनमना
अमृत परकंठ विख लेल अपना
सुनू शिव छथि एना !
अपने उपास भक्त अन्नपूर्णा
दानीके अंकलागल आक ढ़ोलना
सुनू शिव छथि एना !
धथूरेसँ तिरपित उमाक रुसना
अपनाले' भस्म जगलेल भूषणा
सुनू शिव छथि एना !
अंतरके' भाव सुर असुर मे ना
समदर्शी बमशंभू " शिव " भोलना
सुनू शिव छथि एना !
दारुणले' अछि ने शिवदर्शन मना
भावक नवआशा गढ़ि देलथि कना
सुनू शिव छथि एना !
कजरी (युगल गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अदरासँ पहिनेके' बदरा 
छीटूने विहनि धान सजना
धान सजना हो धान सजना हो
छीटूने विहनि धान सजना
गुनूने आब पोथी पतरा
खेतोके घुरल प्राण सजना !
क'हु धनी कथीसँ क्यारी बनेबै
कोदारिमे ने शान धनिया
रहतै ई परती उपासल
छथि लक्ष्मी अकान धनिया !
चलु प्रिय खुरपीसँ सीता सजेबै
वरनके राखब मान सजना
मिथिलाके नारीक शक्ति
आब देखत जहान सजना !
अहँक आँजुरमे ठेल्ला पड़त जौं
प्रियतमके उड़त प्राण धनिया
छोड़ि दियौ अही बरख खेती
रुसल छथि दिनमान धनिया !
सियाके धीया हम माटिक बेटी
अछि धर्मक संज्ञान सजना
दुहू शक्ति जुड़ा लिय' घेंटी
तखने त' विहान सजना !
दृष्टि फुजल अय प्राणपियरगरि
तनि गेलै वितान धनिया
सपनाके करबै सकारथ
ई कर्मक नवतान धनिया !
ककर गुमकी ?
शिव कुमार झा टिल्लू 
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गुमकी बढ़ैत गेल
लोक कह' लागल - अन्हेर भेल 
विकासक नवल आयाम
गवेषणक नकारात्मक परिणाम
क' देलक दिन वाम
ग्लोबल वार्मिंग !
ब्रह्माण्डसँ उपटि बनाऊ
दोसर भूमण्डल - रहबाक लेल
द' रहल अछि वार्निंग !
अपन देशक पृथ्वी सम्मेलनमे
भूगोलविदक मुखसँ
ई वैधानिक चेतावनी सुनि हँसल - आर्यकवि
ठामहि कर' लागल -नवल सर्जना
ई थिक परिणाम -
भौतिकताक भरल पूरल कोषसँ
अपवर्तित गरिमाक उत्तापक
किएक त' -
द्रव्य होईछ तापक परममित्र सुचालक
ई ओकरे गरमी थिक !
ओकर रचनापत्र पर नजरि पड़ल
सोच' लगलहुँ
ओ के छल ?
वामपंथी साहित्यकार
समरस अर्थवादी !
भौतिकताक संत्राससँ
पीड़ित गरानिक शिकार !!
वा वर्तमान तन्त्रक प्रचारक -
"निक दिन आबि गेल " - केर पुजारी
के छल नहि बूझि सकलहुँ ?
मुदा क' देलक बाध्य चिंतन करबाक लेल !!
झूला ( २३.०६.२०१६ ) @ कॉपीराइट 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अरे रामा सुन्न कदम्बक झुलना डोलत कोना पलना रे रामा !
राधा ठाढ़ि यमुना तीरे दरस आश खसबथि नीरे 
थाकि हारि घुरली राधा आकुल मोन चरण धीरे
अरे रामा हिय झकझोरल सजना कत' वंशीबजना रे रामा !
प्रेम सत्युद्धसँ हारल जएह सूत्र वेअह बारल
जकरा लेल भोगल अपयश सेअह आइ हीया जारल
अरे रामा बिनु दर्शन केँ' घुरली राधा पुनि अंगना रे रामा !
मोन दाबि पड़ली घरमे कृष्ण कृष्ण मुदा अधर मे
दुत्कारै छथि बाहरसँ बसल कृष्ण अंतःघर मे
अरे रामा अर्पण तान सुनाबै दुहू जोड़ कंगना रे रामा !
सपन मे आशा पूरल प्रीति देखि कणकण जु'ड़ल
राधाप्रेम तिरपित हे शिव जग बूझै नाह बूड़ल
अरे रामा सगरो हरिगर्जनसँ कड़कि गेल अलना रे रामा
कजरी ( २४.०६.२०१६ ) @ कॉपीराइट 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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रसेरसे पावस के' बदरा कारी मुग्ध फुलबारी औ सजना !
गमकि गेलि चम्पा चमेली हँसैत जूही सासुर गेली 
बालगेना थपकी दै छै आतुर भेलि युवती बेली
सजिगेल सुरभि सुमनसँ क्यारी हरितभेल बारी औ सजना !
पोरपोर डाँट सिहकल सुखल पात अपने बिदकल
काँट झरि माटिक तरमे रहत ने यौवन बिंहुसल
थिरकथि रजनी फूलकुमारी राति भेल न्यारी औ सजना !
शीतवात रासे रहसय क्षणेक्षणे ठनका गरजय
कलकल घनघन बादरि टपटप बुन्न बरसय
नहुनहु समटू सेजक गोरथारी भीजि गेल साड़ी औ सजना !
पावसक -पीड़ा 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अछि युगक पियासलि ई धरती 
अति वरखो एहिठां की करती 
कणकण के' तृष्णा भरत कोना
शीतल बुन्न सेहो एत' जड़ती !
किछु कण माटिक ओलतीसँ कटल
भरि देल विधाता ओकर मोख
ओ हेरि रहल अछि कटल अंश
नहि भेंटल आ ने भरल पोख
कियो देत ने ककरो बचल भाग
बरु अवशिष्ट बनि सोझाँ सड़ती !
देखि पावस आँखिमे भरल नोर
जगमेने होयत तिरपितक भोग
कतबो उझलब कलकल शीतल
ने भरत हाहि ई मनः रोग
ऊपरसँ जेना होथि गहल शस्य
अंतः छनि सुन्न जेना परती
भागलि पावस देखि अतुल हाहि
सुरदेवक रजलग करथि आहि
हरु पीड़ हमर हे नृपाधीश
अछि काटि रहल ई जगत काहि
अन्नपूर्णेक अंश मे दियौन नीर
मात्र मायटा त्रासक दुःख हरती !
प्रियतम सुनू नव सपनके' बात ! ( गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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प्रियतम सुनू नव सपनके' बात !
अचके अहोरातिमे अयलहुँ 
सिहर' लागल गात !
निन्न फुजल पुनि सत्यक दर्शन
वेअह विरहके' वेश
कल्पक सांगह भसकि गेल हे
होयत कखन प्रभात
प्रियतम सुनू नव सपनके' बात !
अप्पन धरती मधुगन्धा छथि
किए पड़ल दूरदेश
कोरब हिनका सीता भेंटती
हे देखू अहिवात
प्रियतम सुनू नव सपनके' बात !
प्रेमक नव परिभाषा गढ़बै
आउ चन्नाके' चकोर
भामिनीके' अस्तित्व अलोपित
होथि महेश एकात
प्रियतम सुनू नव सपनके' बात 
विवाह गीत ( २५.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कने एम्हरो ताकथु ने नवल दुलहा !
किए लाजे कठुआएल धवल दुलहा
लेथु कोटिक आभार देलनि आदर्शक मान
जत' एहेन सपूत ओतै सुक्खक विहान
आँखि डोकासन कान्ति ई गहल दुलहा
कने एम्हरो ताकथु ने नवल दुलहा !
मनुमूल्यक धियान पानपातक संग दान
कर्म वैचारिक दम्पतिके' शील संतान
मोन बदनक सुधीर उर कोमल दुलहा
कने एम्हरो ताकथु ने नवल दुलहा !
धरथु ग्रहणक ई माल देखथु सगरो महाल
सुनथु मिथिलानी कंठक पियरगर सन ताल
सासुक खोपड़ी सिनेहक महल दुलहा
कने एम्हरो ताकथु ने नवल दुलहा !
देखथु हे धर्मक पूत बान्हल वरन के' सूत
मात्र तागे नहि जन्मक बन्हन मजगूत
नोर दानक ने ई भावक जल दुलहा
कने एम्हरो ताकथु ने नवल दुलहा !
दुर्गा वंदना ( २५.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अहींके' चरणटा अंतिम धाम 
हे जगजननी हमर प्रणाम !
हर हरि जपथि अहींके' नाम
ब्रह्मलेल दुर्गा शब्द सुनाम !
भावक अंजलि भक्तक हाथ
अचले चरणलग जीवक माँथ
भव्या भव्य मात्र गुणग्राम
पबिते चरणरज बिसरल काम !
अंतर बाहर एक समान
सदति भरू माँ समरस तान
पापक भावसँ भेंटय त्राण
हमरो हिय हुअए सतगुण धाम !
कर्मक बेरिने भाग्यक बात
छ'ल प्रपञ्चसँ रही एकात
सतदानक लग काँपै ने हाथ
नेहक हिय योगक विश्राम !
श्रष्टा सृष्टिक सकल विधान
द्रष्टा कालसँ करब निदान
मातृकृपा केँ राखी मान !
एहि आँचर तर पूर्णविराम !
व्यथाकाल ने काँपय देह
सुखक घड़ी नहि उमकय रेह
बाँचल क्षण सन्तोखक याम
प्रांजल "शिव" जीवन आयाम !
श्रमेव जयते
शिव कुमार झा टिल्लू 
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नित्य ऑटो रिक्शामे बैसि 
खासमहल गोलपहाड़ी सँ 
टाटा टीशन धरिक सफर
रंगबिरहा लोकक माँझ छोट छोट अनुभव
आइ त' क' देलक विस्मित !
बरोबरि टकरा जाइत छथि
एकटा मैथिल ऑटोचालक
आइ सेहो...
हमरा बगल मे बैसल सज्जन दुहुक गप्प सुनि
मैथिलीयेमे टोन देलनि उतर'काल !
कतेक टका भेल ?
सात रुपैया साहेब
हमरा लग दसटकही छह'
हमरो लग एक्के टका खुचरा
नहि चलतह ..तखन पांच टका देबह
से किए
त' तीन टका घुरब'
नहि अछि मालिक !!!!!
हम गोंग बनल छलहुँ !
सूट बूट बला साहेबक ह्रदयक महत्त
दुइयो टका नहि ....
तखन पांच राखह ..
लाउ ..ल' लेलक ऑटोबला भारी मोनसँ
साहेबक गेलाक बाद हमरो तुरत उतारबाक छल
दसटकही थम्हबैत चल' लगलहुँ ..
रोकि लेलक ऑटोबला
साहेब ..अहाँ किए घटा सहब..
लिय' पचटकही ... अहाँ सभदिना छी ने
दुःख अछि जे शूट बलाक दरेग नहि
ओना ह'म सोमदिन दू रुपैया दान करैत छी
मुदा अपनासँ कमजोर केँ ..
आइ ओ दू टका ...
घामक कैंचा पानिमे चलि गेल...
ह'म भीजल पचटकही पकड़ने बढि गेलहुँ
किछु नहि छी ह'म
ओकर हिय हमरासँ बहुत विराट अछि
शायद ई श्रमजीवीक मौलिक गुणे होइछ
तें ने... श्रमेव जयते !!!!!!!!!!!
सम्बन्ध- दर्शन 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कामिनीके फूल मुरुझायत हे तोड़ि राखू ने डाला 
फलकल चमेली मौलायत हे जौं गाँथि देब माला !
सुन्नर सुशील मात्र देख'क जोगक
शील अनुबन्धन तखन साध भोगक
असगुन बनि हिय औनायत हे जौं अनुचित नेबाला !
कृतिक अमावस अधिकारक दिवाली
संयोगल सुमन कहियो खोंटल ने माली
भृंगक लेल पाँखुर फुलायत हे बरु गुमकी बा पाला !
प्रेमक अहिवातक ने मोल लगबियौ
भावक रंगउपटनसँ पुरहरि सजबियौ
भौतिकसँ प्रीतिकेँ हिलकोरब त' होयत बान्हक देवाला !
विश्वासक सांगहमे आशा अछि बान्हल
एकरा उपारल ओ जीवनभरि कानल
मोनिक मुँह अपने भथायत हे भरु शंकाक नाला
पावस प्रतीक्षा ( गीत ) 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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पूनम जामिनी मान मनेलहुँ...
दूबि धानक संग चान सजेलहुँ 
तैयो दरेगने अहाँके' हीयामे
औ सजना औ सजना !
दर्शन के बेरि किए देखै छी सपना
उपछि रहल प्रेमकरस हेरि लाउ नपना
किए असमंजस लागत अपयश
नोरक स्वर गान सुनेलहुँ ..
पूनम जामिनी मान मनेलहुँ..
हमरे दुःख देखल तेँ बरसल ने बदरा
आउ रसकवंत कंत उझीलि देत अदरा
कथीके' मंथन आशक उपवन
अपने ह्रदयमे बसेलहुँ ....
पूनम जामिनी मान मनेलहुँ..
सहती ने अनुगामिनी पावस प्रतीक्षा
अपवर्गक इच्छाने प्रेमक परीक्षा
दरकल आशा भरल निराशा
क्षणक्षण दुहूबीच बितेलहुँ ....
पूनम जामिनी मान मनेलहुँ..
मूड़न गीत ! ( ३०.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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एलै शुभे के लगनमा शुभे हो शुभे
केशक कणकण शुभे
बौ'आक तनमन शुभे
ठाकुर कैंची ल'क' बैसथु भेंटतनि अनधन शुभे ..
रातुक छगरधूरि शुभे
अरिपन के' लूरि शुभे
परसल भोगक लेल फुटपूड़ि शुभे हो शुभे !
राघव रतननेह शुभे
ऋद्धिसिद्धि भरलगेह शुभे
शिखाके' गिरहक सिनेह शुभे हो शुभे !
शीतल रहसपन शुभे
ठुमकल नेनपन शुभे
सगरो मिथिलाके' मूड़न शुभे हो शुभे !
मायक आशीष शुभे
बौआके' प्रेमकटीस शुभे
सुरगण चराचर दशोदिश शुभे हो शुभे !
पावसमे हम प्रोषित पतिका ( गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अदराके बदरा हमर अंगना 
किए बैसल विदेश आबू ने सजना
टपटप अदराके बदरा हमर अंगना
किए बैसल विदेश आबू ने सजना ...
लतरल मेघकें कजरी सुनबितहुँ
प्रिय पाहुन ! अपने जौं अबितहुँ
ठमकल नुपुरक स्वर गर्जना
किए बैसल विदेश आबू ने सजना ...
आशकपथ पर मुरुझल लतिका
पावसमे हम प्रोषित पतिका
अहाँ बिनु कोन काजक कंगना ...
किए बैसल विदेश आबू ने सजना ...
चहकैत बिजुरी मोन जराबै
ठहकैत ठनका प्राण उड़ाबै
ड'रे बन्न दुहू नयना
किए बैसल विदेश आबू ने सजना ...
असमंजस के' बात कत' अछि
सिनेह ओहीठां भोग जत' अछि
पवित्र वरन अभिनव गहना
किए बैसल विदेश आबू ने सजना ..
ऋतुरानीक आगमन ( सोहर )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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पावसक पहिलुक बुन्न धरामे समाओल हे 
ललना हँसिहँसि मिथिलाक माटिकें सरस बनाओल हे !
प्रिय पाहुन रितुरानी कि नैहर आओल हे
ललना स्वागतमे मिथिलानी कि सोहर सुनाओल हे !
अछि मधुमासी ई अदरा रसाल रसाओल हे
ललना सुरभि पनसपर भृंग कि आँखि गराओल हे !
घाटबाट दुलकैत भाट सोहरगीत गाओल हे
ललना खन ठमकैत खन दौगैत मेघ भरमाओल हे !
बिरहिनी देखि नेहबुन्न कि आश लगाओल हे
ललना अचकेमे बुन्नभेल लुप्त कि आर विरहाओल हे !
क्षण गरजल मधुबादरि आश पुराओल हे
ललना फुजल नयन ने कि सोझाँमे प्रेयसकेँ पाओल हे !
गीत ( कन्या भ्रूण ह्त्या )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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नवनव जोड़ि जोड़ि नवल सजेलहुँ
हे ! आशाकेँ जगेलहुँ- 
त' कि'ए घोंटलहुँ हे बाबू बेटी के परनमा !
नीके लाले अबितहुँ दुलार सिखबितहुँ
भ'रिए देतहुँ हे लक्ष्मीबनि धन सोनमा
अबोध ने बोध देखल केहेन कपार लिखल
कनेको भेंटल ना माय नेहरस कनमा !
धयने रहू माता धीर सातेमासे देलहुँ पीड़
बेटिए बनि क' ना आयब अगिला जनममा !
लीखि क' राखब माता बेटा रखलक केहेन नाता
फेरसँ जोड़ब ना तनयक तोड़ल ओ मनमा !
अंतिम ई आश देवि बेटी केँ राखब सेबि
मोन जुड़त ना जखन दाबत दुखित तनमा !
मायबापक सुनय आह बेटा हो की बेटी वाह
धर्म ने बुझय ना त' जीबिते मरनमा !
गीत ( ०५.०७.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
गुमकी लधने कत' कोकिल स्वरबजना 
पावसके मास नेह हहरल चुआठ सन
शीतल बयार कएल अचकेमे काठ मन
सुक्खल चिनुआर मुदा थल्हगर छै अङ्गना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
कछमछमे राति दिवस आशा मे बीतय
ककरो ने सोह ककर कोन अंश तीतय
ओलती भसकि हेरि रहल पंथ तजना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
अप्पन ओसार छोड़ि बनलहुँ प्रवासी
मायक गहबर बिचुकल हेरै छी काशी
आनक महल सेजू डीह लागल भरना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
रहू निफिकीर आब हहरथिने मिथिला
मैथिली विरहानल मुदा हेतीने शिथिला
फुफनलद्रव तकरेसँ गढब धवल कंगना
ने तकबनि बाट रहथु कतहु हमर सजना !!!!
ई जीवन !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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भेल साओनक रंग बेरंग 
टपटप लग झपसीक बून 
देखि मेघ जे छल फलकल
दाबलक मुँह फेर ओ प्रसून !
आशक लत्ती खसि क'
भेल माटिए सन तप्पत
गफरतमे मुरुझायल
छल ओकर चेतना सून !
निर्भर रहू दोसर पर
ई केहेन सन सामर्थ
कयलहुँ नहि उत्पादन
बरू सलिल हुए वा खून !
सदिखन बूनब बाना
ई जग अछि हमरे लेल
अचके मे खसल बिजुरी
जीवन भेल भखरल चून !
अहोराति समुख सोचल
जएत चरण समुंदर पार
वरखा आकि नील गगन
पुनि देखिने सकल वरुण !
ठमकल पानिक आहि !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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लोकक मारल 
टीस भरल आहिक संग कानि रहल छल 
ठमकल पानि
एक दिशि गन्हाइत खत्तामे
दोसर साफ़ कूलरमे
बेराबेरी पुछलहुँ दुन्नूसँ
आँखिसँ निकसैत नोरक गाथा !
एक्के तरहक जबाब
दुनूक ठमकल सूक्ष्म तरंगसँ उपटल
कानब कोना ?
आँखि कत' अछि हमरा
ओ त' देने अछि प्रकृति अहाँसभ कें
तें ने बरबाद क' रहल छी हमर अस्तित्व !
नोर कोना निसकत ई अछि हमर प्रकृति
तरल जीवनक
जेना राखब ओहिना रहब !
मुदा ! नीक लगितय जौं
छोड़ि देतहुँ स्वतंत्र
अपन धारक संग चलैत रहितहुँ
नहि लगितय कलंक
बेमारी उपटयबाक
अहाँ साफ़ पानि जमाबै छी
तखने पनकैत अछि डेंगू
हमरा जखन गन्हाबै छी
हैजा आ मलेरिया सन असाध्य
मुदा मात्र दीनक लेल ..
अहाँ साधनशील बचि जाइत छी
भौतिकताक बलें !
हमरा आहि अछि मुदा ..
मात्र जहानक लेल
अपन त' कोनो गति यति नहि
जत' स्वतंत्र छलहुँ ओतहु
देलहुँ बान्हि !
ओ बजैत रहल हम कनैत रहलहुँ
मुदा ! कहब ककरा ?
सोहर ( बेटी जन्म )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कठोर पाथरपर दूभि जनमि हरियायलि रे 
ललना सुन्न अकानक कान भ' मैथिली आयलि रे !
अचकेमे हँसल नोरक स्वर चम्पा फुलायलि रे
ललना जगतक जननि सुनयनाके' कोर सजायलि रे !
जनकक जपतप पसिझल कलिका खिलायलि रे
ललना धरतीसँ उपटि भवानीमाँ मिथिला समायलि रे !
आइ जगत के भामिनी मिथिके' हँसायलि रे
ललना जकर चरणलग जगत ओ बेटीबनि आयलि रे !
सकल जनकपुर मायक कोखि गढायलि रे
ललना जनकके' सियाधिया दानके' मान बढायलि रे !
सोहर ( जानकीक अवतार )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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सोहर सुहासिन शोर जनकपुर नगरी हे 
ललना नृप छथि मगन विभोर भरल मोह गगरी हे !
सिया तन गहल कनकसँ सुशोभित चुनरी हे
ललना बरुहोथि जगतक माय जनक लेल सुनरी हे !
आँखि सुनयना मीठनोर अनूप बेटी सु-परी हे
ललना खिलनि मुदितभाल गोर पारथि धाय थपरी हे !
भरल सुनयनाक कोर मायक भेली दुलरी हे
ललना बँटल महलमे पटोर कटल दुःखमुंदरी हे !
घरघर हरित परोर ने अक्कत कुंदरी हे
ललना नाचल दीनक मनमोर पायस रस छिपरी हे !
रोपब कोना धान सजना ! ( गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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रुसि गेलथि पुनिदेव पुरंदर 
रोपब कोना धान सजना ! 
धान सजना हो कि धान सजना हो
रोपब कोना धान सजना
फटलै खेत निकलै छै धाही
भेल तप्पत दिनमान सजना !!
बिचड़ा मुरुझेलै धरतीमे सटलै
कोर' लगलहुँ त' जड़िएसँ कटलै
फेर विधना अकान सजना !
आगाँके' आश जड़ि रहलै
कोना कजरीके' तान सजना !!
लागल भदबा भदैयाक खेतमे
जेतै अगहनियो रौदीक पेटमे
छुटत अपटीमे प्राण सजना !
ताकी त' आँखि चोन्हराबै
भेल जीवन मलान सजना !!
कहै छलिय' हम चलि जा विदेश
दुखित पड़ल मिथिलेशक देश
उगल खगताके' चान सजना !
नोरेसँ लधबध वैदेही
छनि संकटकेँ भान सजना !!
हहर'ने धनि मेघ आसन बदलतै
पछतो बादरि हमर गां बरसतै
त' पोसब मखान धनिया !
धान जौं ने हेतै रोपबै
बैसक्खा पात पान धनिया !!
हे अचले !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अपनेक आँचरतर हिय तीतल 
पोछैत काल हम देखल नोर
विस्मित भेलहुँ ओ छल शीतल
मायक सिनेह के' कत' जोर ?
अर्णवसँ बेसी ई अथाह
कलकल टा नहि कोनो कराह
निज अंशकलेल ने आहि वेकल
सहि लेब टीस नहि करब आह
त्यागक मूरति हे देवि अचल
एकअर्थक जीवन साँझ भोर !
एकमात्र सहचरी नोर गंग
हुनके संग अपनेक अंग अनंग
सभ हास उपास कें संजोगल
ककरो आशा नहि करब भंग
संत्रास नुकयलहुँ निज हियमे
भोगब यथार्थ ने करब शोर !
भावक पुरहरि मे मात्र नेह
बिसरल संतति लेल अपन देह
हम हेरि रहल छी.. हे अचले !
बिनु सृष्टिक सुखदायिनी गेह
दुःखके' अभास विश्रांति त्रास
देवव्रते जकाँ जग लगैत गोर !
विवाह गीत ( धुन : झूमर )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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सभसखी झूमि नाचथि जनक अंगना 
जनक अंगना हो सुनयना अंगना 
धुन लय गति रमल सगरि बजना !
शहनाई ढोलक संग खुरदक
मातु सुनयना मोहित अपलक
सियालेल साजल कनक कंगना
रभसल सभ अबोध बालक भगिना !
सीता उर्मिक नयन पोछै छथि
अपनो आहित हियसँ कनै छथि
देखि विभोर विदेह नयना
ई दानक दरस वेकल मयना !
कीर्ति मिथिके' सिया सुकन्या
भेलि जनकपुर बेटिएसँ धन्या
जें सिया तें ई मैथिली वयना
रूप अवधके' देखल हमर अयना !
हे हरि जगतक भाग्य विधाता
कर्मक फल तें भेलहुँ जमाता
भाग हमर अपनेक रचना
एहि दानक मान राखब पहुना !
महागौरी वन्दना !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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देवि जगदम्बा पशुपतिके' भामिनी !
आठम रूप दुर्गा सोझाँमे कामिनी 
शक्ति अमोघ संग सद्यः फलदात्री
कल्मष बहारि देलहुँ माय जगतधात्री
सोखि लिय' जगके सभ जामिनी
हे माय सोखि लिय' जगके सभ जामिनी
देवि जगदम्बा पशुपतिके' भामिनी !
संताप पाप दैन्य दुःखहु ने आबै
अक्षय पवित्र पुण्य जगमे लहराबै
शंख चन्द्र कुंद फूल भाविनी
हे माता शंख चन्द्र कुंद फूल भाविनी
देवि जगदम्बा पशुपतिके' भामिनी !
एक हाथ अभय मुद्रा दोसर त्रिशूले
जगब' लेल डमरू आशीष वर मूले
असुरी मोन लेल बज्र दामिनी
हे माता असुरी मोन लेल बज्रदामिनी
देवि जगदम्बा पशुपतिके' भामिनी !
महागौरी कांतिमान गौरवर्ण रूपा
स्नेहमयी शांत मृदुल सर्जना स्वरूपा
पार्वती शिवा शक्ति नामिनी
हे उमे पार्वती शिवा शक्ति नामिनी
देवि जगदम्बा पशुपतिके' भामिनी !
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कल्मष : दोख , पीजु , एकटा नरकके' नाओं
गणपति वन्दना ( ०९.०७.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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आदिपूज्य गणपति गणनायक 
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
मूषक वाहन कान्ति गजानन
गाणपतेय लेल सभहित साधन
गौरिसेवा लेल अष्टयाम शायक
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
केतुदेव सभ जुग अवतारा
शिवमानसमे प्रणव ओंकारा
कर्ण ग्राह्य सूंढ़ बुद्धिविनायक
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
सकल चराचर उदर विराजित
भोज्य मात्र नहि नेह समाहित
सुमुख भालचंद्र नमनके' लायक
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
द्वादश नाम ऋद्धि सिद्धके' दाता
विद्यारम्भ आ वरन विधाता
सत रज नीति सकल गुण दायक
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
क्रुद्ध रूप शनि देव ने आबथि
कपिल परशुसँ विघ्न भगाबथि
शक्ति स्वरक सर्वोत्तम गायक
उमासुत सद्गुणके' अधिनायक !
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हम्मर सपना टुटलै ना ! ( गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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सपनामे देखलहुँ प्रियतम 
आबि गेलथि गाम 
आहेराम आबि गेलथि गाम
अचके निन्न फुजलै ना
रामा सुन्न रे ओछौना
हम्मर सपना टुटलै ना !
दिवस शिथिल भेल राति कठुएलै
आहेराम राति कठुएलै
ओ सेहो ने कटलै ना
रामा भोर भेल नेपत्ता
सुरूज कत' सटलै ना !
कत' ओ बसथि दूरदेश
केलनि कोन धारण वेश
कत' ओ बसथि दूरदेश
कोन रूप धरलनि आहेराम
कोन रूप धरलनि
दरस सपना भेलै ना
रामा विरहके रातिटा
आब अपना भेलै ना !
आबि जाऊ हे शिव
राखब हम आब सेवि
आबि जाऊ हे शिव
गेह नेह उजड़लै आहेराम
गेह नेह उजड़लै
सगरो पिपरी फड़लै ना
आशक डगरि अलोपित
ओ त' अपने भखड़लै ना !!
चलू शिव मिथिला धाम !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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दर्शन तंत्र साहित्यक जे भू ठाम ओ अछि मिथिला 
चलू शिव मिथिला धाम !
जत' विवेक विचारक नव आयाम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
कोशी कमला बागमती संग देखब करेहक धार औ
गंगा गण्डकी महमह भेली देखि जकर आचार औ
भारती बेटी उदयन सुत निष्काम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
सुग्गा जत' संस्कृत बचै ओ तन्त्रक नजरि उपासल औ
हम लड़ै छी तें ने बुझै सभ हमरा मतिछीन भासल औ
जनकनगरसँ अंगपुरि धरि अविराम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
विद्यापति भुवनेश्वर चंदा सन सर्जकके' खान औ
अमर मधुप आरसी सुमन सन रास ओत' दिनमान औ
ज्ञानक दीप अखण्ड, ने बुझब विराम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
दीनहीन साधनविहीन मुदा अछि ने पसारने हाथ औ
अप्पन अंशक दान दैत अछि याचकसँ नहि लाथ औ
कतेक अयाची साधक गामकगाम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
सिद्धिदात्री वंदना 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कमलिनी शिवकशक्ति जगदम्बे 
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !
अणिमा प्राप्ति ईशित्व हे गरिमा
प्राकाम्य लघिमा वशित्व माँ गरिमा
चतुर्भुजा जग चहुदिशि खम्बे
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !
सकल सृष्टिमे किछुओ अगम नहि
जे पकड़ल अपनेक चरण गहि
सिंहवाहिनी सभ दुःखभंगे
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !
पंकज दाहिनी अधोहस्त वश
चरणसटल सिर चुसथि कृपारस
कृपा बिराजथि अंग अनंगे
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !
देविकृपा शिव अर्द्धनारीश्वर
विषय भोग शून्य मायक गहबर
शान्ति अमियपद निधिक तरंगे
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !
यथासाध्य जप पूजन अर्चन
हिय हेरथि माँ देखथि ने साधन
वाकसिद्ध रमा उमा हे गंगे
अष्टसिद्धि के' अहीं अबलम्बे !