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Tuesday, July 12, 2016

दुर्गा वंदना ( २५.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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अहींके' चरणटा अंतिम धाम 
हे जगजननी हमर प्रणाम !
हर हरि जपथि अहींके' नाम
ब्रह्मलेल दुर्गा शब्द सुनाम !
भावक अंजलि भक्तक हाथ
अचले चरणलग जीवक माँथ
भव्या भव्य मात्र गुणग्राम
पबिते चरणरज बिसरल काम !
अंतर बाहर एक समान
सदति भरू माँ समरस तान
पापक भावसँ भेंटय त्राण
हमरो हिय हुअए सतगुण धाम !
कर्मक बेरिने भाग्यक बात
छ'ल प्रपञ्चसँ रही एकात
सतदानक लग काँपै ने हाथ
नेहक हिय योगक विश्राम !
श्रष्टा सृष्टिक सकल विधान
द्रष्टा कालसँ करब निदान
मातृकृपा केँ राखी मान !
एहि आँचर तर पूर्णविराम !
व्यथाकाल ने काँपय देह
सुखक घड़ी नहि उमकय रेह
बाँचल क्षण सन्तोखक याम
प्रांजल "शिव" जीवन आयाम !

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