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Tuesday, July 12, 2016

कजरी ( २४.०६.२०१६ ) @ कॉपीराइट 
शिव कुमार झा टिल्लू 
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रसेरसे पावस के' बदरा कारी मुग्ध फुलबारी औ सजना !
गमकि गेलि चम्पा चमेली हँसैत जूही सासुर गेली 
बालगेना थपकी दै छै आतुर भेलि युवती बेली
सजिगेल सुरभि सुमनसँ क्यारी हरितभेल बारी औ सजना !
पोरपोर डाँट सिहकल सुखल पात अपने बिदकल
काँट झरि माटिक तरमे रहत ने यौवन बिंहुसल
थिरकथि रजनी फूलकुमारी राति भेल न्यारी औ सजना !
शीतवात रासे रहसय क्षणेक्षणे ठनका गरजय
कलकल घनघन बादरि टपटप बुन्न बरसय
नहुनहु समटू सेजक गोरथारी भीजि गेल साड़ी औ सजना !

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