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Tuesday, July 12, 2016

ई जीवन !
शिव कुमार झा टिल्लू 
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भेल साओनक रंग बेरंग 
टपटप लग झपसीक बून 
देखि मेघ जे छल फलकल
दाबलक मुँह फेर ओ प्रसून !
आशक लत्ती खसि क'
भेल माटिए सन तप्पत
गफरतमे मुरुझायल
छल ओकर चेतना सून !
निर्भर रहू दोसर पर
ई केहेन सन सामर्थ
कयलहुँ नहि उत्पादन
बरू सलिल हुए वा खून !
सदिखन बूनब बाना
ई जग अछि हमरे लेल
अचके मे खसल बिजुरी
जीवन भेल भखरल चून !
अहोराति समुख सोचल
जएत चरण समुंदर पार
वरखा आकि नील गगन
पुनि देखिने सकल वरुण !

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