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Tuesday, July 12, 2016

नचारी ( २१.०६.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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सुनू शिव छथि एना !
मायक आँचर बापक छाहरि जेना !
संततिके ध्यान अंतरक अनमना
अमृत परकंठ विख लेल अपना
सुनू शिव छथि एना !
अपने उपास भक्त अन्नपूर्णा
दानीके अंकलागल आक ढ़ोलना
सुनू शिव छथि एना !
धथूरेसँ तिरपित उमाक रुसना
अपनाले' भस्म जगलेल भूषणा
सुनू शिव छथि एना !
अंतरके' भाव सुर असुर मे ना
समदर्शी बमशंभू " शिव " भोलना
सुनू शिव छथि एना !
दारुणले' अछि ने शिवदर्शन मना
भावक नवआशा गढ़ि देलथि कना
सुनू शिव छथि एना !

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