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Tuesday, July 12, 2016

श्रमेव जयते
शिव कुमार झा टिल्लू 
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नित्य ऑटो रिक्शामे बैसि 
खासमहल गोलपहाड़ी सँ 
टाटा टीशन धरिक सफर
रंगबिरहा लोकक माँझ छोट छोट अनुभव
आइ त' क' देलक विस्मित !
बरोबरि टकरा जाइत छथि
एकटा मैथिल ऑटोचालक
आइ सेहो...
हमरा बगल मे बैसल सज्जन दुहुक गप्प सुनि
मैथिलीयेमे टोन देलनि उतर'काल !
कतेक टका भेल ?
सात रुपैया साहेब
हमरा लग दसटकही छह'
हमरो लग एक्के टका खुचरा
नहि चलतह ..तखन पांच टका देबह
से किए
त' तीन टका घुरब'
नहि अछि मालिक !!!!!
हम गोंग बनल छलहुँ !
सूट बूट बला साहेबक ह्रदयक महत्त
दुइयो टका नहि ....
तखन पांच राखह ..
लाउ ..ल' लेलक ऑटोबला भारी मोनसँ
साहेबक गेलाक बाद हमरो तुरत उतारबाक छल
दसटकही थम्हबैत चल' लगलहुँ ..
रोकि लेलक ऑटोबला
साहेब ..अहाँ किए घटा सहब..
लिय' पचटकही ... अहाँ सभदिना छी ने
दुःख अछि जे शूट बलाक दरेग नहि
ओना ह'म सोमदिन दू रुपैया दान करैत छी
मुदा अपनासँ कमजोर केँ ..
आइ ओ दू टका ...
घामक कैंचा पानिमे चलि गेल...
ह'म भीजल पचटकही पकड़ने बढि गेलहुँ
किछु नहि छी ह'म
ओकर हिय हमरासँ बहुत विराट अछि
शायद ई श्रमजीवीक मौलिक गुणे होइछ
तें ने... श्रमेव जयते !!!!!!!!!!!

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