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Tuesday, July 12, 2016

गीत ( ०५.०७.२०१६ )
शिव कुमार झा टिल्लू 
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कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
गुमकी लधने कत' कोकिल स्वरबजना 
पावसके मास नेह हहरल चुआठ सन
शीतल बयार कएल अचकेमे काठ मन
सुक्खल चिनुआर मुदा थल्हगर छै अङ्गना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
कछमछमे राति दिवस आशा मे बीतय
ककरो ने सोह ककर कोन अंश तीतय
ओलती भसकि हेरि रहल पंथ तजना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
अप्पन ओसार छोड़ि बनलहुँ प्रवासी
मायक गहबर बिचुकल हेरै छी काशी
आनक महल सेजू डीह लागल भरना
कोना रहबै सखी मोरङ्गमे सजना !
रहू निफिकीर आब हहरथिने मिथिला
मैथिली विरहानल मुदा हेतीने शिथिला
फुफनलद्रव तकरेसँ गढब धवल कंगना
ने तकबनि बाट रहथु कतहु हमर सजना !!!!

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